STORYMIRROR

parag mehta

Abstract

5.0  

parag mehta

Abstract

तू मुझे!

तू मुझे!

1 min
249


अगर मुझसे इश्क़ करना मजबूरी है तेरी !

तो ये मजबूरी मंजूर नहीं है मुझे !


अगर मुझे याद करना पसंद नहीं तुझे

तो नापसंद ही रहने देना तू फिर मुझे !


अगर तुझे मेरी बात का ज़िक्र नहीं करना !

तो नजरअंदाज ही कर देना तू मुझे !


अगर मैं ही हूं तेरी हर हार की वजह !

तो जीत से महरूम ही रहने दे तू मुझे !


अगर मेरी मौजदगी नहीं चाहिए अब तुझे !

तो खुद से जुदा ही रख तू अब मुझे !


और अगर अब मैं नहीं तेरी किसी फेहरिस्त में !

तो फिर खुद में ही मशगूल रहने दे तू अब मुझे !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract