"कितना दर्द सहा होगा"
"कितना दर्द सहा होगा"
सोचो!भारत माता ने तब,कितना दर्द सहा होगा।
दयासिंधु उस जगदीश्वर ने,शत-शत नमन कहा होगा।।
पाँवों में थी पड़ी बेडियाँ , हाथों में थी हथकडियाँ।
संगीनों के साये में फिर,कितना खून बहा होगा।।
वीर प्रसूता भारत माता,कभी नही वो हारी थी।
रणवीरों ने आगे बढकर,जय-जय हिंद कहा होगा।।
राणा,वीर शिवाजी,तात्याँ,लहू इन्हीं का खौला था।
आजादी के मतवालों ने,निश्चित मरण चहा होगा।।
निज जननी का दूध पिया था,अरिदल नाशक सिंहम् थे।
भगत सिंह,"सुख"राजगुरू ने,हँसकर कष्ट सहा होगा।।
खुदीराम की उस फाँसी को,कुछ तो याद करो यारों!
एक युवा ने भरी जवानी, कितना जख्म सहा होगा।।
तन-मन-जीवन अर्पित करके,विजय गीत गाया होगा।
बीज क्रांति का बोकर के ही,नायक हुआ महा होगा।।
निर्लज्जी हो अरे शियारों! "टुकड़े-टुकड़े "कहते हो!
सोचा!क्या उन पर बीतेगी?,जिनका रक्त बहा होगा।।