माँ तुझे फिर क्या बताऊँ !
माँ तुझे फिर क्या बताऊँ !
माँ तुझे फिर क्या बताऊँ आज मैं।
बोझ ढोकर थक गई हूँ आज मैं।।
चाह थी बेटा जनेगा, मैं हुई,
हाथ माथे पे रखे, जब मैं हुई।
याद करती हूँ समय को आज मैं,
माँ तुझे फिर क्या बताऊँ आज मैं।।
मैं पहाड़न गर्व था मुझको कभी,
मारते हैं गर्भ में मुझको अभी।
हूँ अकेली इस खलक में आज मैं,
माँ तुझे फिर क्या बताऊँ आज मैं।।
जिंदगी कैसी अभागी थम गई,
धूल - मिट्टी - कंकणों में रम गई।
लाडली तेरी थकी हूँ आज मैं
माँ तुझे फिर क्या बताऊँ आज मैं।।
अम्बिका - रण-चंडिका तू ज्ञान दे!
हे भवानी ! हे मृडानी ! मान दे!
तव शरण हूँ देवि दुर्गा! आज मैं,
माँ तुझे फिर क्या बताऊँ आज मैं।।
माँ तुझे फिर क्या बताऊँ आज मैं।
बोझ ढोकर थक गई हूँ आज मैं।।