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Prem Bajaj

Children Stories

4  

Prem Bajaj

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काला कौवा

काला कौवा

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एक कौवा काला-काला था,

बड़ा ही प्यारा-प्यारा था।


एक बन्दर मोटा-मोटा था,

अन्दर से वो खोटा था।


कौवे को परेशान वो करता,

देख अकेला उस पर झपटता।


रोता-रोता गया वो मां के पास,

मां ने दिया सुरक्षा का विश्वास।


कौवा जब फिर घूमने निकला,

संग था उसके पूरा काफ़िला।


देख पलटन कौवों की जैसे

भागा बंदर रख सिर पर पैर वैसे।


देखो कौवों की एकता रंग लाई,

छोटे से कौवे की बड़े बन्दर से जान बचाई।


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