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Prem Bajaj

Fantasy

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Prem Bajaj

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ख़ामोश मुस्कुराहट

ख़ामोश मुस्कुराहट

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ख़ामोश मुस्कुराहट भीगी पलकों को छुपा लेती है,

दिल के झंझावतों को बखूबी सुलझा लेती है,

लाख छुपाओ दिल के ज़ख्म तुम अपने,

मगर कहीं एक शिकन‌ माथे की दिल का हाल बयां कर देती है,


लगा कर कहकहे बेशक वो हमारे दिल को तसल्ली देते हैं,

मगर वो क्या जाने कि उनके कहकहों में जो खाली ही खनक है हम उसे पहचान लेते हैं,


लाख वो डाले चिलमन अपने रंज-ओ-ग़म पे हम पार चिलमन के भी झांक लेते हैं,

उनकी जब झुकती है निगाह देखकर‌ हमें,

ख़ामोश रह कर भी सब कुछ बता देती है।


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