इंसान में बेजान सी होगयी हूँ और कलम यह बोल पड़ी है। इंसान में बेजान सी होगयी हूँ और कलम यह बोल पड़ी है।
मर्दों की इस दुनिया में स्त्री सिर्फ सम्मान ही तो चाहती है......। मर्दों की इस दुनिया में स्त्री सिर्फ सम्मान ही तो चाहती है......।
कुछ-कुछ जवाँ दिलों की हलचल या कुछ दोनों की नजदीकियों ने सूरुर जगाया है। कुछ-कुछ जवाँ दिलों की हलचल या कुछ दोनों की नजदीकियों ने सूरुर जगाया है।
मेरी मोहब्बत ऐ मासूम हरफे खफ़ा, हर दफ़ा तुझ पर निशार हो गई। मेरी मोहब्बत ऐ मासूम हरफे खफ़ा, हर दफ़ा तुझ पर निशार हो गई।
बस ज़रुरत है तो समझने वालों की, इनकी मौन भाषा पढ़ने वालों की। बस ज़रुरत है तो समझने वालों की, इनकी मौन भाषा पढ़ने वालों की।
अपनी-अपनी मंज़िल को पाना है खामोश रातें जो वीरान सी हैं अपनी-अपनी मंज़िल को पाना है खामोश रातें जो वीरान सी हैं