मत पूछ
मत पूछ
मत पुछ
मेरे रुखसार का रंग आज
गुलाबी क्यूँ है
ये कोई धूप की असर नहीं
तेरे प्यार का जादू है
छोटा सा सफ़र गुज़रा
तेरी बाँहों में
साँस मिली साँसों से
धड़कन से मिली धड़कन
इशशश हया की शोख़ी छा गयी गालों पे
हर देखने वाला हैरान है
देख तेरी छेड़छाड़ की रंगत उभरी है
हर अदाओं पे
चलूँ बलखाती नज़रे झुकाये
फिर भी छलक जाती है मदहोशी निगाहों से
लब चूप जुबाँ खामोश है बस एक
तेरी चुम्मी के नीले निशान ने शोर मचाया है गरदन पे
न आया छुपाना हमें राज़ ए मोहब्बत
सोलहवें साल के पहले प्यार ने जादू जगाया है
कुछ-कुछ तेरी ख़ता कुछ-कुछ मेरा कुसूर,
कुछ-कुछ जवाँ दिलों की हलचल
या कुछ दोनों की नजदीकियों ने सूरुर जगाया है।

