लिख के जज्बात मिटाने से
लिख के जज्बात मिटाने से
लिख के जज्बात मिटाने से भला क्या होगा।
भरी आंखों से आंसू बहाने से भला क्या होगा।
बेदर्द जमाने में कौन सुनता है किसी की सदा।
रकीब को फिर नसीब बनाने से भला क्या होगा।
तेरी चाहत है किसी और की चाहत तो क्या करें।
प्यार के दरिया में डूब जाने से भला क्या होगा।।
रास्ता जब तक समझ पाए ,जिंदगी बुझने को है।
मंजिलों से अब एतबार जताने से भला क्या होगा।
चले भी आओ दो घड़ी को दिल से मुझे प्यार करो।
निगाहें फेर के इस तरह जाने से भला क्या होगा।

