तुम्हारे पास ही
तुम्हारे पास ही
तुम्हारे पास ही है मेरा मन दूर तुमसे जा नहीं पाता।
जो डूबा नैनों की झीलों में किनारा को नहीं पाता।
समंदर कब किनारा तोड़ के किसी पर्वत को चूमे है।
लाख की कोशिशें इस दिल को मैं समझा नहीं पाता
राजहंसों को रहना तो हिम की झीलों में होता है।
मेरे जीवन के रेगिस्ता में वो परिंदा बस नही पाता
तुम्हारे रंग में कुछ इस तरह से रंग गया है तन मन।
किया लाखों जतन पर रंग दूजा चढ़ ही नहीं पाता।
चली आओ जानेमन तुम भी जमाना छोड़ के सारा।
भूल कर के सभी रिश्ते अब निभा लो प्यार का नाता।