गजल (आँसू)
गजल (आँसू)


कभी खुशी कभी गम की पहचान दर्शाते हैं बहते हुए आँसू।
किसी के गम, किसी की तन्हाई, किसी की याद को बयाँ करते हैं छलकते हुए आँसू।
कौन कहता है कायरता की निशानी को दर्शाते
हैं बहते हुए आँसू, दिल पर लगती है जब गहरी चोट तो निकल आते हैं
शूरवीरों की आँखों से भी
आँसू।
लाख छुपाने पर भी नहीं छुप पाते, निकल आते हैं टकराव, तकरार व जज्बात के आँसू।
किसी के प्यार का इनाम
किसी के टकराव के अरमानों की दास्ताँ बतलाते हैं ये बहते हुए आँसू ।
देख लिया कईबार पलकों में चुपचाप छिपा कर यह आँसू, चल पड़े खुद ही सुनकर दिल के जज्बात यह आँसू।
माना की नमकीन पानी नहीं पीने के काबिल दोस्तों, छलक कर गालों से फिर भी मुँह में आ जाते हैं किसी की मीठी
याद के यह आँसू।
सहन नहीं हो पाता जब दुख दर्द अपना लगते बहुत स्वाद बहते हुए
जज्बात भरे यह आँसू।
जो पूरा न हो सके उन्हीं अधूरे अरमानों की दास्ताँ
के कब्रिस्तान बन जाते हैं यह आँसू।
मिलने बिछुड़ने की दास्ताँ
बताते हैं यह छलकते हुए
आँसू, मत रूला बेवजह
किसी को सुदर्शन न जाने
कब कर दें किसी को तबाह किसी बेबस वे पनाह के यह आँसू।