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Sudershan kumar sharma

Others

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Sudershan kumar sharma

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कहकशां ‌तेरी‌ मेरी बातों की।

कहकशां ‌तेरी‌ मेरी बातों की।

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बात दिल में जो बतानी पड़ेगी, नमी आंख की भी

छुपानी पड़ेगी ।


कितनी चाहत है उनके‌ लिए,

यह बात भी होठों पे लानी पड़ेगी ।


दोस्ती तो हरेक से है,

यह आदत है पुरानी,

छुड़ानी पड़ेगी ।


बहुत भोलापन है,बातचीत में उनकी

कुछ हलचल मुझे भी दिखानी पड़ेगी ।


गमगीन क्यों रहते हो सुदर्शन, जख्म किसी

के दिए हुए देखकर,

लबों पे फिर ‌से मुस्कान

सजानी पड़ेगी ।


नया‌ रिश्ता जोड़ा है,उस‌ प्रभु से अब तो,

शरारत यही है दिल की सब को बतानी पड़ेगी ।


किसे‌‌ कहते हैं‌ मुहब्बत सच्ची, सुदर्शन लगन 

 उस‌ प्रभु से लगानी पड़ेगी ।



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