कहकशां तेरी मेरी बातों की।
कहकशां तेरी मेरी बातों की।
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बात दिल में जो बतानी पड़ेगी, नमी आंख की भी
छुपानी पड़ेगी ।
कितनी चाहत है उनके लिए,
यह बात भी होठों पे लानी पड़ेगी ।
दोस्ती तो हरेक से है,
यह आदत है पुरानी,
छुड़ानी पड़ेगी ।
बहुत भोलापन है,बातचीत में उनकी
कुछ हलचल मुझे भी दिखानी पड़ेगी ।
गमगीन क्यों रहते हो सुदर्शन, जख्म किसी
के दिए हुए देखकर,
लबों पे फिर से मुस्कान
सजानी पड़ेगी ।
नया रिश्ता जोड़ा है,उस प्रभु से अब तो,
शरारत यही है दिल की सब को बतानी पड़ेगी ।
किसे कहते हैं मुहब्बत सच्ची, सुदर्शन लगन
उस प्रभु से लगानी पड़ेगी ।
