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Sarita Saini

Romance

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Sarita Saini

Romance

तेरे बग़ैर

तेरे बग़ैर

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तेरे बग़ैर भी ये सांसें चलती हैं ,

किसने कहा कि जीना छोड़ दिया मैंने ।

हर सुबह आज भी सूरज की किरणें..

मेरी खिड़की से मुझे निहारती हैं ,

किसने कहा कि मैं तन्हां हूँ ।।

ये चाँद रोज की तरह हर रात..

छत से झाँका‌ करता है ,

तेरे बग़ैर भी सब वैसा ही है ।

बस इस दिल का हाल बेहाल सा है ,

ये आँखें तेरे दीदार को ब्याकुल हैं ।।

हर रोज़ तेरी राह निहारा करती हैं ,

तेरे बग़ैर कुछ भी तो नहीं है ।

ये ज़िंदगी भी मौत का सामान हो जैसे ,

इस दुनिया से दूर जाने का 

इंतज़ाम हो जैसे ।।


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