तेरे बग़ैर
तेरे बग़ैर


तेरे बग़ैर भी ये सांसें चलती हैं ,
किसने कहा कि जीना छोड़ दिया मैंने ।
हर सुबह आज भी सूरज की किरणें..
मेरी खिड़की से मुझे निहारती हैं ,
किसने कहा कि मैं तन्हां हूँ ।।
ये चाँद रोज की तरह हर रात..
छत से झाँका करता है ,
तेरे बग़ैर भी सब वैसा ही है ।
बस इस दिल का हाल बेहाल सा है ,
ये आँखें तेरे दीदार को ब्याकुल हैं ।।
हर रोज़ तेरी राह निहारा करती हैं ,
तेरे बग़ैर कुछ भी तो नहीं है ।
ये ज़िंदगी भी मौत का सामान हो जैसे ,
इस दुनिया से दूर जाने का
इंतज़ाम हो जैसे ।।