बिखरती गई मोहब्बत
बिखरती गई मोहब्बत
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बिखरती गई मोहब्बत और..
हम टूटते गए ,
वो जो अपने थे मेरे हमसे रूठते गए ।
मनाने की लाख कोशिश भी नाक़ाम रही ,
मोहब्बत मेरी हर गली में बदनाम रही ।।
कोई समझा ही नहीं दर्द दिल का ,
सबकी नज़र ही मुझ पर कत्लेआम रही ।
करते भी क्या हम उसने तो राह बदल ली ,
हमसे ही न हो सका कुछ ।।
उसने तो अपनी चाह भी बदल ली ।
दिल का दर्द नासूर हो गया ,
घुँट-घुँट कर जीने को अब मजबूर हो गया ।