शबनम में भीगा गुलाब
शबनम में भीगा गुलाब
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शबनम में भीगा गुलाब ,
तेरे होठों की याद दिलाता है।
तेरी यादों में तड़पते हैं हम ,
ये तू कहाँ समझ पाता है ।।
यूँ तो अब भूलने लगी हूँ मैं तुझे ,
पर इस दिल से तू कहाँ निकल पाता है ।
तुझे जब भी चाहा निकालना दिल से ,
अश्क़ बनके तू ऑखों में छा जाता है ।।