मैं अपने अन्तिम समय में
मैं अपने अन्तिम समय में


मैं अपने अन्तिम समय में किसी पागल की तरह
समुद्र के किनारे बैठ,
उतनी बार लिखूँगा तुम्हारा नाम
जितनी बार समुद्र की लहरें
उसे मिटाएंगी,
जितनी बार लोग मुझे
पागल कह के सम्बोधित करेंगे,
जितनी बार तुम्हारा नाम
मेरी आँखों से ओझल होगा,
लिखते - मिटते लिखते - मिटते एक दिन मैं
खुद तुम्हारे नाम के साथ
उसी समुद्र में लिख - मिट जाऊँगा
पर तुम रोना नहीं
न ही मेरे ना होने का शोक मनाना
तुम मुझे खुद में महसूस करना
मैं वहीं कहीं तुम्हें मिलूँगा
तुम्हारी आत्मा की अनन्त गहराइयों में तुम्हारे साथ ।
मैं किसी का कुछ उधार
नहीं रखना चाहता,
बहुत अधिक दिनों तक
मैंने वादा किया है
मिट्टी से, हवा से ,पानी से,
आकाश से और अग्नि से
सभी अपना - अपना हिस्सा
ले जाएँँगें मुझसे
जब मैं यहाँ से विदा लूँगा