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Irfan Alauddin

Abstract Romance

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Irfan Alauddin

Abstract Romance

प्यास लगती है मुझे भी जोर की

प्यास लगती है मुझे भी जोर की

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प्यास लगती है मुझे भी जोर की 

प्यास अपनी मैं बुझा दूगा क़भी


बोतलें खाली पड़ी है घर में क्यों

वजह इस की भी बता दूगा कभी


ज़िंदगी से है मुझे भी इक गिला

पास आओ मैं दिखा दूगा क़भी


लफ़्ज़ मेरे आसमाँ को  छूते है

अर्श उस का मैं हिला दूगा क़भी


जो लिखा है वो सही है मान लो 

शेर अपना मैं जला दूगा क़भी।


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