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Adyanand Jha

Romance

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Adyanand Jha

Romance

प्रपोज

प्रपोज

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तेरी मस्त आंखों की गहराइयों में 

खो जाना चाहता हूं,

अरे सुनो ना कुछ कहना है

तुम मुझसे दिल लगाओगी क्या ?

सपने जो देखता था अकेले आज तक 

तेरे साथ देखने को दिल चाहता है

कह दूं ये बातें मैं आज तुमसे

या बिन कहे ही समझ जाओगी क्या ?

मैं तो तुझे चाहने ही लगा हूं 

ये बात कहना भी चाहता हूं 

मेरी हसरतें गर ना जता पाया 

बिन कहे वह भी समझ जाओगी क्या ?

मुझे सब बताने की आदत नहीं है 

पर कोशिश करोगी तो जान लोगी 

माना नहीं हूं मैं दरिया का तेरी

पर साथ बहने को मान जाओगी क्या ?

माना की हक है तुझे रुठने का

मनाने की आदत भी मैं सीख लूंगा

पर यदि कभी मैं रूठा जो तुमसे

मेरे नाज नखरे तुम भी उठाओगी क्या ?

शब्द ही भर पढ़ पाती हो 

या मौन भी समझ लेती हो

बड़े अच्छे कॉलेज से पढ़ी हुयी हो 

मेरे भी मन को पढ़ पाओगी क्या?


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