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Adyanand Jha

Classics

4  

Adyanand Jha

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दशावतार कथा

दशावतार कथा

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नारायण कहो श्री राम कहो ,

या बंसीधर घनश्याम कहो,

सब नाम सुमंगलकरी हैं

कलयुग के दंश पे भारी हैं।

जलमग्न धारा तो मीन भयो,

मंदार को जब आधार दियो

कछप बन सागर मंथन भी कियो।

जब चुरा लियो संपूर्ण धारा तो,

धरती तारण को वाराह बनो।

जब भक्त फसे तो नरसिंह बनो,

वामन बन भक्त उद्धार करो।

हे मायाधारी त्रिलोकपति

किस नाम से तेरो जाप करे।

नरपशु को सीख बताने को,

फर्शाधरी परशुराम भयो।

मर्यादा को परभासित कर ,

पुरषोत्तम तुम श्री राम भयो।

कर्म को ज्ञान दियो तुमने,

जब कृष्ण रूप धरो प्रभु ने।

हे पलक संरक्षक भगवान

किस नाम से तेरो ध्यान धरो। 

जब बुध भयो तब शुद्ध कियों,

मानव मन हिंसा मुक्त कीयों।

पर काल के चक्र को देख प्रभु,

ये भक्त बड़ा ही छुब्ध भयो।

कलयुग की कैसी ये मया है,

जो बुध के अनुयाई थे प्रभु

वो कृष्ण के पथ पर हैं चले

धर्म द्वाजा की रक्षा को वो 

सस्त्र उठा हिंसक हो चले ये 

युद्ध कहीं तेरे कल्कि के आने

का कोई सूचक तो नहीं

हे नाथ मेरे इस निज मन की भी व्यथा सुनो

बस आश यही ये दास तेरे कल्कि मुख का 

रसपान करे।

 



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