कृष्ण प्रेम
कृष्ण प्रेम
तुमे मोहे कितना भाते हो
लफज़ो मे बया ना कर पाती हूँ तुम्हे याद कर हर पल
अक्सर ज़िद कर तुम्हे सतातीै हूं।
राधा तोहरी, मीरा तोहरी
तोहरी सारी गोपिया ,
सारा जग है कृष्ण तुम इतने प्यारे हो इतने दुल्हारे हो
सब के कान्हा सबसे खास हो कृष्ण कान्हा, श्याम हर लब पर थमे है ये नाम
ओ मोरे कान्हा तुमने किए है कभी बड़े बड़े काम
जन्मे तुम देवकी-वासुदेव के पुत्र बन
तुमने सबको किया भाव मगन फिर तुम ब्रज पधारे
तुमने कयी लोगों के भाग्य सवारे
छोटे से मेरे कान्हा जी ने
सबको बहुत फिर सताया बहुत मानाया है
कर्तव्य पालन के कारण दूर हो सबसे सबको बहुत तरसाया हैं
तुम राधा के प्रिय, तुम यशोधा माँ- नंद बाबा के लाल हो
कुर्बान तुमपर दुनिया का हर दुलार हो
तुमने ही अर्जुन को सारथी बन राह दिखलाई है
विश्व को महाभारत की सच्चाई दिखलाई है,
भागवत जी मे तुम्हारे गुणगान बया कर न थकते है
पर तुम बिन अक्सर कुछ पल बहुत खटकते है
हम तुम्हारे बुलावे के इन्तेज़ार में दर दर भटकते है
कर्म और ज्ञान के वचन तुमने सिखलाय है
तुमसे परिचय जो हुआ दिल से हम धर्म और तुम्हारे और करीब आए है
कान्हा तुम सच्चे मित्र, पुत्र, प्रीत, गुरु हो
चाहते है रोज हर दिन तुम्हारे गुणगान से, तुम्हारे नाम से शुरू हो
राधे राधे का जाप करे जो वो तुम्हें बहुत भाता है
कृष्ण को लेकर जब गोपियां मैया यशोदा पास जाती है तो कहती है
" मैया यह तुम्हरो लाला बहुत सताता है!