कृष्ण प्रेम
कृष्ण प्रेम
प्रेम
प्रेम गर यदि सत्य है तो।
प्रेम फिर आधा है क्यूं।
साथ में यदि रुकमणी है।
प्रेम फिर राधा है क्यूं।
इसलिए विचलित हृदय है।
कृष्ण कुछ समझाइए।
रुकमणी और राधिका का।
कृष्ण आधा आधा है क्यूं?
बांसुरी की धुन में कन्हैया।
रुकमणी या राधिका है।
तुम बसे गोकुल में यदि तो,
द्वारिका की क्या कथा है।
इसलिए मन भी अनेकों।
प्रश्न चिन्हों से भरा है।
तुम विराजे रुकमणी संग।
क्यूं विरह में राधिका है।
याद है तुमको कन्हैया।
राधिका बनना तुम्हारा।
और रुकमणी का हरण कर।
साथ में अपने ले आना।
इसलिए मुझको कृपालु।
कुछ तो अब समझाइए।
कैसी लीला थी तुम्हारी।
मुझको अब बतलाइए।
रुकमणी और कृष्ण को फिर।
संग पुकारा क्यूं नहीं है।
राधिका के प्राण प्यारे।
राधिका के क्यूं नहीं है।
जान न पाया है कोई।
सब प्रभु लीला तुम्हारी।
रुकमणी भी आपकी है।
राधिका भी है तुम्हारी।
मन मेरा बस कह रहा है।
हर हृदय में तुम बसे हो।
राधे कृष्णा, राधे कृष्णा।
सबके हृदय कैसे बसे हो।
रुकमणी की आस्था हो।
और आत्मा राधा है क्यूं।
हे मुरारी तुमसे पहले।
नाम राधा का है क्यूं ।
प्रेम गर यदि सत्य है तो।
प्रेम फिर आधा है क्यूं।
साथ में यदि रुकमणी है।
प्रेम फिर राधा है क्यूं।