आजादी
आजादी
आजादी का दिन जब जब आता है,
मेरा मन उत्साह से भर जाता है ।
वर्षो की गुलामी के बाद आई आजादी की रात ,कहीं खुशी के दीप जले कहीं वीरो की चिताए जले।
आजादी देन है उन वीरों की जो बिना मौत फांसी चढ़े ।
आजादी देन है उन शहीदों की जो देश की खातिर मर मिटे।
एक मां की गोद बचाने की खातिर ,
अपनी मां की गोद सूनी कर चले। एक बहन की राखी का फर्ज निभाने की खातिर, अपनी जान गवाने चल पड़े ।
भारत देश तू धन्य है ,तेरी धरती पर ऐसे वीर पले।
तुझे आजाद कराने को मौत की नींद सो पड़े।
आजादी की खुशी में भी मनाऊंगी ।
पर पहले शहीदों की खातिर में अपना शीश झुकाउंगी।
धन्य है वह मां जिसने ऐसे शहीदों को जन्म दिया ।
मैं भी अपनी बेटी को उसी राह पर चलाऊंगी।
देश की खातिर कुर्बानी की राह दिखाऊंगी।