प्यार अंधा होता है
प्यार अंधा होता है
प्यार तो प्यार होता है, अंधा कहना उचित नहीं होगा,
क्योंकि जब कोई किसी को प्यार करता है तो दिल से करता है
प्रेम तो रूह से रूह का मिलन होता है, जो आत्मा की. गहराइयों से निकलता है,
और शरीर में खून के रूप में नसों में दौड़ता है.
प्यार (प्रेम ) तो अचानक हो जाता है, बस किसी को देख कर, मिलकर,
जब कोई अच्छा लगता है, तो सोचने समझने की शक्ति नहीं रहती, बस एक ही चेहरा नजर आता है.
तब ये ख्याल नहीं आता है कि कौन सी जात है, अमीर -गरीब, ऊंच -नीच, गोरा -काला कुछ भी नहीं सोचते है.
अंजाम की परवाह किए बिना ही, प्यार करने वाले इस राह पर बढ़ते रहते है.
समाज, परिवार तब कुछ भी दिमाग में नहीं आता.
प्यार ना हो तो जीवन नीरस और उद्देश्यहीन हो जाता है.
प्यार (प्रेम ) एक रोशनी की मानिंद जीवन मैं एक किरण बन कर जीने की प्रेरणा,
उत्साह ओर उम्मीद देता है.
प्यार (प्रेम ) एक मौसम है, जो ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार ही आता है,
जो अपने साथ बहुत सी खुशियाँ, बहारें लेकर आता है,
गर हो सके तो इस मौसम को कभी बीतने नहीं देना चाहिए.
प्यार (प्रेम ) तो निस्वार्थ पवित्र होता है
(राधा -कृष्ण ) जी के प्रेम की तरह से.
और शहंशाह ने (ताजमहल ) के रूप में प्यार की निशानी दुनिया को दी है.
प्यार एक अजीब सी अनुभूति है, जिसका अहसास सिर्फ प्यार करने वाले ही समझ सकते है.
हाँ --- आज के युग मैं कुछ लोग ऐसे है जो प्यार नाम का झूठा सहारा लेकर धोखा देते है,
ये ऐसे लोगों का नजरिया है, वर्षों से इस तरह के लोग कहते आ रहें है कि
(प्यार अंधा होता है )
जो लोग मतलबी होते है, वो सच्चे प्यार की अहमियत को नहीं समझते हैं, जो प्यार (प्रेम )
को जात -पात, अमीरी -गरीबी, ऊंच -नीच के
तराजू मैं तोलकर धर्म के नाम पर प्यार करने वालो को सजा देते हैं. उन्हीं की नजर मैं यही
फलसफा है कि - प्यार अंधा होता हैं.
पर, जबकि असल मैं प्यार (प्रेम ) ही जीवन का आधार है.
प्यार करने वाले मन रूपी मंदिर मे अपने साथी को सजाते है, पूजते है.
प्यार रिश्तों को जोड़ता है ओर जीने की शक्ति बनता है.
हमेशा सुगंध की तरह जीवन को महकाता रहता है.