अधूरा इश्क़
अधूरा इश्क़
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काश रकीब आज तू मेरे पास होता,
सांस में सांस और हाथ में हाथ होता।
काश मेरे सीने में तेरा दिल धड़कता,
मेरा नाम लेते ही तू बेइंतहा तड़पता।
काश आंखें तेरी बफा से यूं टकराती,
राह भटकती तो सिर्फ मेरे पास आती।
मेरा कोई प्यार का हकदार होता,
आग की तपन का कोई साझेदार होता।
जो मेरा नाम आते ही भागीदार तू होता,
आसमां की चांदनी मैं और तू चाँद होता।
पूछता तो हर कोई गर तू मेरा सनम होता,
काश धड़कन मेरी और तू मेरा दिल होता ।
हमारा भी क़िस्सा कहीं ना कहीं अमर होता,
कहलाती मैं तेरी शमा तू मेरा परवाना होता।