जब खुद को खुद में खोज पाऊँगी तभी शायद अपने लिए शब्दों को भी ढूंढ पाऊँगी।। जब खुद को खुद में खोज पाऊँगी तभी शायद अपने लिए शब्दों को भी ढूंढ पाऊँगी।।
यह रंग अब आँखों में चुभने लगे है, जिंदगी बेरंग सी लगने लगी है। यह रंग अब आँखों में चुभने लगे है, जिंदगी बेरंग सी लगने लगी है।
रात भर मैं शमा सी पिघलती रही दे उजाला तमों को निगलती रही। रात भर मैं शमा सी पिघलती रही दे उजाला तमों को निगलती रही।
वो है शमा मैं हूँ पतंगा ये है मोहब्बत क्यों मुझे ही हर बार जलना चाहिए वो है शमा मैं हूँ पतंगा ये है मोहब्बत क्यों मुझे ही हर बार जलना चाहिए
दिल के उसी कोने को जरा छू के देखना, धड़कन वहाँ मेरी मचल रही है मेरे दोस्त ! दिल के उसी कोने को जरा छू के देखना, धड़कन वहाँ मेरी मचल रही है मेरे दोस्त !