वो ख़्वाब और मैं
वो ख़्वाब और मैं


ख्वाबों को आँखों में सजाना चाहिए
शिकस्त पे क्या हमें घर लौट जाना चाहिए
अब जो उड़ चुका हूं मैं अपने आशियाने से
क्या मुझे अपनों को मुड़ के देखना चाहिए
वो है शमा मैं हूँ पतंगा ये है मोहब्बत
क्यों मुझे ही हर बार जलना चाहिए
कहा तो था कि फिर मिलेंगे इसी जगह
क्या मुझे अपने वादों से मुकरना चाहिए
कोई मज़हब पूछता है कोई रब पूछता है
इस हाल में क्या मुझे काफ़िर बनना चाहिए
सब कहते है कि वो बेहद खूबसूरत है
क्या मुझे उसका ख्याल छोड़ देना चाहिए
एक तरफ है शराब और दूजी तरफ वो आँखें
तुम्ही बतलाओ क्या हमें संभल के चलना चाहिए