इश्क़ का इनाम
इश्क़ का इनाम
इश्क़ का इनाम लेकर झूमता हूँ
कौड़ियों के दाम लेकर झूमता हूँ
शेर सुनकर मेरी दुनिया झूमती है
मैं तो उसका नाम लेकर झूमता हूँ
कुछ नहीं बस चाय पी है यार के साथ
सब ने समझा जाम लेकर झूमता हूँ
याद है वो पहला चुम्बन पहली बारिश
अब तलक एक शाम लेकर झूमता हूँ
कोई तोहफ़े मे किताबें दे गया कल
कल से चारो धाम लेकर झूमता हूँ।