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Abhishek Singh

Abstract Tragedy

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Abhishek Singh

Abstract Tragedy

बुत और कलाकार

बुत और कलाकार

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बुत को तराश्ते जो कलाकार मर गए 

यानी की मिट्टी रह गयी कुम्हार मर गए 


एक ऐसी कहानी लिख रहा है एक आदमी 

जिसमें कहानी के सभी किरदार मर गए 


उसकी छुअन के बाद यहाँ क्या नहीं हुआ

उसकी लबों की प्यास से रुखसार मर गए 


दानाइयों की भीड़ ने जीने नहीं दिया 

दानाइयों के बीच समझदार मर गए 


ये हाथ उसके हाथ में है जनता था मैं 

जिसके ज़हर से यहाँ कई सरदार मर गए 


एक बार तो मरेंगे सभी लोग अपनी मौत 

पर इश्क़ जो बिछड़े वो दो बार मर गए 



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