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Meena Sharma

Romance Tragedy

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Meena Sharma

Romance Tragedy

मेरे दोस्त !

मेरे दोस्त !

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ज़िंदा हूँ, साँसें अब भी चल रही हैं मेरे दोस्त,

थकी-थकी सी शाम, ढल रही है मेरे दोस्त !


बुलबुल ने साथ छोड़ दिया सूखे गुलों का,

कि रुत बहार की निकल रही है मेरे दोस्त !


महफिल में कौन देख सका शमा के आँसू,

परवाने से पहले वो जल रही है मेरे दोस्त !


अहसास होगा अपनी ख़ता का कभी तुम्हें,

रूह इस खयाल से, बहल रही है मेरे दोस्त !


बहला रहे हैं दिल को गलतफहमियों से हम,

कैसी बुरी आदत ये पल रही है मेरे दोस्त !


दिन में पचास रंग बदलता रहा सूरज,

धरती भी रंग अब, बदल रही है मेरे दोस्त !


दिल के उसी कोने को जरा छू के देखना,

धड़कन वहाँ मेरी मचल रही है मेरे दोस्त !


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