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Meena Sharma

Romance

3  

Meena Sharma

Romance

तुम्हें खोजती हूँ

तुम्हें खोजती हूँ

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अकेलेपन की

दीवारों को टटोलती,

खोजती हूँ -


कोई ऐसी खिड़की

जिसमें से आती हो,

चिड़ियों की चूँ-चूँ

फूलों की खुशबू,


बारिश की बूँदों की

मीठी सी रिमझिम,

पत्तों से पानी

टपकने की टिपटिप,

माटी की खुशबू

नमी ओस की !


फिर खोजती हूँ -

वो छोटा झरोखा,

जिसमें से झाँके

अंबर का मुखड़ा,

सूरज की आँखें

बादल का चेहरा,


चंदा की साँसें

तारों की बातें,

हवा की हँसी !


फिर खोजती हूँ -

कोई राह ऐसी,

निकलकर जहाँ से

पहुँच जाऊँ तुम तक,

सिमटकर तुम्हारे 

पहलू में रो लूँ,


करूँ सारे शिकवे

कहूँ सारी बातें,

जो अब तक कभी भी

कही ही नहीं !


अकेलेपन की 

दीवारों को टटोलती,

तुम्हें खोजती हूँ ....।।


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