मौन दुआएँ अमर रहेंगी !
मौन दुआएँ अमर रहेंगी !
श्वासों की आयु है सीमित
ये नयन भी बुझ ही जाएँगे !
उर में संचित मधुबोलों के
संग्रह भी चुक ही जाएँगे !
संग्रह भी चुक ही जाएँगे !!!
है स्पर्श का सुख भी क्षणभंगुर
पर मौन दुआएँ, अमर रहेंगी
बगिया में अनगिन फूल खिले,
अमराई भी है बौराई ।
बेला फूला, तरुशाखाएँ
पल्लव पुष्पों से गदराईं ।
फूलों के कुम्हलाने पर भी,
मधुमास चले जाने पर भी !
मधुमास चले जाने पर भी !!
खुशबू को फैलानेवाली
मदमस्त हवाएँ अमर रहेंगी।
नदिया में सिरा देना इक दिन
तुम गीत मेरे, पाती मेरी
धारा में बहते दीपों संग
बहने देना थाती मेरी !
स्मृति में पावन पल भरकर
लौ काँपेगी कुछ क्षण थरथर !
लौ काँपेगी कुछ क्षण थरथर !!!
जलते दीपक बुझ जाएँगे
बहती धाराएँ अमर रहेंगी।
ये भाव निरामय, निर्मल-से
कोमलता में हैं मलमल-से
मन के दूषण भी हर लेंगे
ये पावन हैं गंगाजल-से !
मत रिक्त कभी करना इनको
ये मंगल कलश भरे रखना !
ये मंगल कलश भरे रखना !!!
ना तुम होगे, ना मैं हूँगी,
उत्सव की प्रथाएँ अमर रहेंगी ।
