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Rashi Saxena

Classics

4  

Rashi Saxena

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श्वेत धवला

श्वेत धवला

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जय हो माँ शैल 

तेरा दर्स लगे स्पर्श 

ह्रदय को कोमल 

तपते संसार में 

छाया घनी शीतल 

दरबार तेरा स्वच्छ 

साफ़ सुन्दर सूरत 

रूप सुनहरा तेरा 

वाहन नंदी श्वेत 

रंग वस्त्रों का धवल 

श्रृंगार उज्जवल 

दरबार सच्चा स्वच्छ 

नर्म निर्मल सीरत 

मूरत साक्षात् जाग्रत 

बुद्धि सर्वथा शुद्ध

चेतना सदा प्रबुद्ध 

झूठ का विनाश 

सत्य की रहे चमक 

आत्मा की सरलता 

मानवता असरदार 

कोई देश नगर प्रान्त 

आक्रमण थामें मैया 

लगे युद्ध विराम 

माँ धरती करो शांत 

हर स्वांश तुमसे आस 

जन जन का विश्वास

पृथ्वी पे लहराए 

हर सरहद ध्वजा धवल 

जय हो माँ शैल।



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