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Dr Mahima Singh

Classics

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Dr Mahima Singh

Classics

दोस्ती

दोस्ती

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कुछ अलग सी तुम.

कुछ अलग सी मैं।

साथ में मगर इंद्रधनुष से हम।

बिखेरते सुंदर रंग चारों तरफ, 

जब मिलते हम सब यारा । 

एक साथ हाथ बढ़ाएं तो, 

मुट्ठी में पकड़ ले आसमां को भी। 

है किसी की हैसियत जो देख ले एक बार नजर तिरछी करके भी। 

हम मिलकर छक्के छुड़ा देंगे,

याद दिला देंगे नानी।

जब हम सब साथ में यारा,

करते नादानियां, थोड़ी सी शैतानियां ।

जीते कुछ ही पलों में जिंदगी की सबसे बड़ी खुशियों की घड़ियां । 

गिरह में बांध के हृदय के निलय में,

रख लेते यादों को सजा के ,

चल पड़ते फिर से जिंदगी की राह में,

वादा ये करके फिर मिलेंगे जल्दी ही यहीं पर।

 मुट्ठी में इस बार सितारों को भर के ले चलेंगे यारा। 

कुछ गीत तुम गुनगुनाना कुछ गीत मै, फिर हम मिलकर गुनगुनाएगे, फिर होगा गीत यारी का पूरा

करके यह वादा चलते हैं,

और करेंगे राज की बातें, 

जो किसी और से कभी न कर पाते हैं। 

यारों फिर मिलेंगे तुम्हारे ही साथ तो हम खुलकर हंसते हैं और जी पाते हैं।

 यारों के बिना है जिंदगी अधूरी।



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