प्रेम पत्र
प्रेम पत्र
हर सांस को बनाकर एहसास,
कागज में खुद को समेट दिया
जिस को कहते है लोग खत,
उसमें खुद को सजीव कर दिया
कुछ वादे कुछ यादों को सजाया,
सांसो की महक से गुल को सजाया
कुछ अनकहे अश्रु भी तुम्हें मिलेगें,
कुछ टूटे अक्षर भी तुम्हें मिलें होगे
जागती आंखों को ख्वाब मिला होगा,
तस्वीर को उसका दर्पण मिला होगा
मेरा पिघलता अक्स तुम्हें छूता होगा,
कोई जज्बात अंगडाई भी लेता होगा
दिल की बहार का रुख बदला होगा,
धुआँ-धुआँ नशा भी चढ़ता होगा
कई बार संभाला होगा तुमने खुद को,
समर्पण के दिल तुम्हारा भी तरसा होगा।

