देवाग्रह ....
देवाग्रह ....
मेरे मन के देवाग्रह में भी ,
एक मूरत बसती है ....
और उसमें पूजे जाने वाले ,
देवता तुम हो ...
जहाँ में स्वच्छंदता से ,
अपने निर्मम मन के अश्रु को
तुम्हारे चरणरंज को ,
समर्पित करती हूँ .....
जहाँ तुम मुझे रोक नही पाते ,
तुम्हारे प्रेम का सत्कार करने से .....