चाहती हूं
चाहती हूं
यादों के श्रृंगार से संवरना चाहती हूं
आपकी सांसों में महकना चाहती हूं
दिल में आपके बहाेत आये और गए
में एक उम्र वहा गुजारना चाहती हूं
भीग जाना कुछ पल के लिए मुजमे
मैं बस मन भर के बरसना चाहती हूं
समेट लेना एक आखरी बार मुझे यार
टुकड़ों में पूरी तरह बिखरना चाहती हूं
दर्द हो तो दिल से याद कर लेना दोस्त
आपको ख्यालों में संभालना चाहती हूं
चाह कर भी ना जुदा कर पायेंगे लोग
आपके अस्तित्व में पिघलना चाहती हूं
मिल ना सकी "श्वेत" एक दफा पढ़लो
बनके गजल आप में मचलना चाहती हूं।