औरत
औरत
तू खयालों में ही भर लेना उड़ान
औरत का कोई आसमान नही होता
तेरा पियर है, ससुराल है, तु पराई है
तेरा अपना कोई मकान नहीं होता
बेटी, बहु, बीवी, मां तेरे हजार रिश्ते
तेरा खुदका यहा कोई नाम नही होता
सब चलाये हर वक्त अपनी मरजी से
इंसान है, औरत कोई खिलौना नही होता
तुम खुद का अभिमान बनो, गर्व से रहो
दुबारा मत जाओ जहा सम्मान नही होता
तूने दफनाये हजारों सपने भीतर रोज
औरत बनना कोई आसान नहीं होता।