विरह की चाहत
विरह की चाहत
हम अक्सर खुद को यही समझाया करते हैं
आप नही हैं हमारे दिल को बताया करते हैं
कभी आपकी नजरों ने चूमा था इस चहेरो को
ये सोच के हम आयना देख शरमाया करते हैं
कभी मिल जाओ राह पर कही शायद तो
आपकी पसंद से खुद को सजाया करते हैं
दिल जब भी याद करे, आंखे बेशुमार तरसे
हम आपकी तस्वीर को गले लगाया करते हैं
आपका पवित्र प्रेम आज भी हैं "श्वेत" सा
ना बदले, सब कई सारे रंग मिलाया करते हैं।

