कोई खास
कोई खास
जब तुम साथ नही होते हो न यार,
कुछ कमी सी लगती है..
एक अजीब सा खालीपन लगता है,
हर पल तुम्हारी तलब सी लगती है..
तुम्हारी जगह का सूनापन,
तुम्हारी मुस्कुराहट का खालीपन,
तुम्हारी प्यार भरी नज़रो की अदा,
तुम्हारी चढ़ी भौवो का गुस्सा,
तुम्हारा अपने जज्बातो को समेटना,
सब बहुत याद आता है यार,
तुम्हारी बहुत याद आती है..
हमारा रिश्ता भी कैसा है न यार,
प्यार इतना है कि सामने छुपाना पड़ता है,
और अकेले जताना पड़ता है,
मुझे भी समेट लो यार अपने रंग मे,
तुम्हारे बगैर बेरंग सा लगता हूँ,
कोई सा भी चढ़ा दो मेरे ऊपर,
बस आ जाओ मेरे पास बहुत पास,
जहाँ कमबख्त याद खत्म हो जाए।