तुम्हारी प्रेयसी ....
तुम्हारी प्रेयसी ....
तुम्हारे स्पर्श की,
परिभाषा बनकर ...
तुम्हारे ही होंठों पर,
निखरी रहूँ ....
सांसो के स्पंदन में,
प्रेम की ....
अनगिनत कलियाँ बन,
उन्माद का रुप लेती रहूँ ....
निर्मल सी ...
पवित्र औस की,
बूँदों की तरह ...
एक खूबसूरत,
मधुमास की तरह ....
तुम्हारे हृदय की धड़कनों में .....
प्रेयसी बनकर,
प्रेम गीत लिखती रहूँ ....