प्रेम चौखट
प्रेम चौखट
मैं ... ता उम्र ,
तुम्हें प्रेम चौखोट पर ,
इंतजार करते हुए मिलूँगी ....
तुम्हें प्रेम की ,
उस मर्यादा से ,
बंधी हुई ही मिलूँगी .....
जहाँ तुमने ,
मेरी मन की धरा पर ...
बोया है अमर प्रेम का फल ,
जो अब विश्वास की खाद से
बन गई है ....
एक ऐसी बगीया ,
जिसके हर कोने में
पडे मिलेंगे ....
शिकायत की बैल ,
रुठने-मनाने के फल
और सुखी लडाई की
वो पत्तीयाँ ....
जो है तो निशानी
पर केवल हमारे प्रेम की
हमारे साथ की ,
और आजीवन जुडी ....
हमारी सांसो की .....