प्यारे पतिदेव
प्यारे पतिदेव
कुछ कहो, क्योंकि सुनना अच्छा लगता है
आपकी बातों से न जाने क्यूँ
एक राहत, एक सुकून सा मिलता है,
जो कुछ भी हो दिल में, आज बस कह डालो
अपने अहसास को बस लफ्जों में
जऱा आहिस्ता से बयां कर डालो,
अपने जज़्बातों को यूँ ही दिल में दबा ना रहने दो
बस मुझ पर निगाह रखे, अपनी आंखों से
आज सब कुछ कह डालो,
माना कि ये आपकी आदत में नहीं
मगर मेरे लिए आज...
अपनी ये आदत बदल डालो,
आपकी कही हर बात को
पाक सजदे में रखना है
ये वादा है मेरा खुद से,
कि ये सब हसीन परदे में रखना है
बस मेरी ये इल्तिजा कुबूल कर डालो
और आज जरा़ कुछ कह डालो।

