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varsha Gujrati

Romance

4  

varsha Gujrati

Romance

मेरी प्रेम परिभाषा.....

मेरी प्रेम परिभाषा.....

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मेरे ह्रदय में ,

केवल समाए हुए हो तुम ....

मौन है मेरी शिकायत ,

मेरे अश्रु बहते नही ....

मेरी आँखो की ,

रोशनी बस तुम्हारे ...

चेहरे की चमक से है ....

मेरे हृदय की आहट ,

केवल तुम्हारे सांसे है ....

हजारों मीलों की दूरी से भी .....

तुम्हें छू सकती हूँ ....

देख लेती हूँ ,

तुम्हारी उदासी को ....

पा लेती हूँ तुम्हें ,

इन मनचली हवा में ....

इन हवाओं के सानिध्य में ,

मन भरकर उतार लेती हूँ ....

खडी रहती हूँ जब दर्पण में ,

मुझे केवल तुम नजर आते हो ....

देख ही नही पाती खुद को कभी .....

बस मेरे प्रेम की ,

केवल इतनी परिभाषा है .....


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