मेरी प्रेम परिभाषा.....
मेरी प्रेम परिभाषा.....
मेरे ह्रदय में ,
केवल समाए हुए हो तुम ....
मौन है मेरी शिकायत ,
मेरे अश्रु बहते नही ....
मेरी आँखो की ,
रोशनी बस तुम्हारे ...
चेहरे की चमक से है ....
मेरे हृदय की आहट ,
केवल तुम्हारे सांसे है ....
हजारों मीलों की दूरी से भी .....
तुम्हें छू सकती हूँ ....
देख लेती हूँ ,
तुम्हारी उदासी को ....
पा लेती हूँ तुम्हें ,
इन मनचली हवा में ....
इन हवाओं के सानिध्य में ,
मन भरकर उतार लेती हूँ ....
खडी रहती हूँ जब दर्पण में ,
मुझे केवल तुम नजर आते हो ....
देख ही नही पाती खुद को कभी .....
बस मेरे प्रेम की ,
केवल इतनी परिभाषा है .....

