रिहाई .....
रिहाई .....
इश्क की दुनिया में भी,
तूने रिहाई दी है ,
क़ैद दी है बांहों की
और गगन में उड़ने की आजादी दी है ....!!!
भरोसे के धागे पर
उड़ना सिखाया है
हां तूने इस क़दर ,
मुझे और मेरे ख्वाबों को अपनाया है .....!!!!
सहारा नहीं ताकत बना है
हां तू इस तरह भी ,
मेरी जरूरत बना है .....!!!!!
वफ़ा के काजल में ,
तूने निडरता दी है
हां तूने मेरे हाथों की चूड़ियों में
जहां से लड़ने की ताकत दी है .....!!!!!
पैरों में बांध के पायल को
सच्चाई की डगर दी है
हां तूने सोलह -श्रृंगार में बांधकर भी
एक सच्चे जीवनसाथी की पहचान दी है .....!!!!!