अगले पाँच वर्ष यह न दिखेगा आप को फिर से यह अंजान समझेगा। अगले पाँच वर्ष यह न दिखेगा आप को फिर से यह अंजान समझेगा।
थरथराती आवाज़ों में जिंदगी लड़ रही है, साथ के लिए कब तक पुकारूँ, गूंगी सांसों के शहर में... थरथराती आवाज़ों में जिंदगी लड़ रही है, साथ के लिए कब तक पुकारूँ, गूंगी सांसों के...
फिर से नये निकाले मोती जीवन की है यात्रा छोटी फिर से नये निकाले मोती जीवन की है यात्रा छोटी
पाँव लाँघ लें चौखट को तो, लाँछन लाखों लगते पाँव लाँघ लें चौखट को तो, लाँछन लाखों लगते
कारवां सफ़र पे निकला, मंज़िल है आगोश तुम्हारी। कारवां सफ़र पे निकला, मंज़िल है आगोश तुम्हारी।
फिर नम आँखों में तुम्हारा एक प्रतिबिम्ब नज़र आता है हवाओं की सर्द थोड़ी कम थी रातों की वो धुंध ... फिर नम आँखों में तुम्हारा एक प्रतिबिम्ब नज़र आता है हवाओं की सर्द थोड़ी कम थी ...