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Priyanka Gautam

Romance

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Priyanka Gautam

Romance

स्मृति

स्मृति

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लो फिर, तुम्हारा मौसम आ गया है

फिर सर्द हवायें हैं और तुम्हारी गर्म यादें भी

फिर वो खिड़कियों पर दस्तक देने लगीं हैं

फिर आँखें कुछ नम सी मालूम दे रही हैं।


फिर रातों में आँसू ओस बन जाते हैं

कोरा पन्ना फिर भीग जाता है 

और कलम फिर वहीं रुक जाती है

फिर वो ठंडा कोहरा मुझे धुएं सा नज़र आता है 

और फिर एक रात यूं ही गुज़र जाती है।


फिर चौखट पर बैठ घण्टों बिताने का जी करता है

फिर तुम्हारे ठहाके कानों में गूंज जाते हैं

वो तुम्हारे शरारती अंदाज़, यूं ही कुछ लाल कर जाते हैं

फिर तुम्हारी याद गर्माहट सी दे जाती है।


वो तोहफे वाली शॉल तुम्हारी बाँहों सी लिपट जाती है

फिर सरसराती हवा हौले से कुछ कह जाती है

सरसों के पीले फूलों की तरह मन में कुछ खिल सा जाता है

फिर अगले ही चंद पलों में सब फीका पड़ जाता है।


फिर अपने अंदाज़न धूप में स्वैटर बुनती हूँ

और मुस्कुरा कर कुछ प्रेम के मोती चुनती हूँ

फिर गिरते पत्तों को देख मन थोड़ा घबराता है

फिर चटक सूरज बादल में ओझल हो जाता है।


पर,

फिर नम आँखों में तुम्हारा एक प्रतिबिम्ब नज़र आता है

हवाओं की सर्द थोड़ी कम थी 

रातों की वो धुंध साफ़ हो चुकी थी

सूखे खाली पेड़ों पर नए पत्ते आ रहे थे

और सामने तुम थे, ठीक मेरी ही तरह नम आँखों में।


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