STORYMIRROR

SAKSHI SINGH

Romance

3  

SAKSHI SINGH

Romance

Aaj-kal

Aaj-kal

1 min
228

वो कोई और बात थी

 तुम्हारे चहरे की चमक लाजवाब थी


तुम्हारे बात करने का अंदाज ख़ास था

सालो पहलें तुम्हे देखा था।


लगाता है जैसे कल ही की बात थीं

कल ही तो हम मिले थे


ना जाने इन 24 घंटो मैं ऐसा क्या हो गया

कि जिसके लिए जिया करते थे हम

वही बेवफा हो गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance