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Lokanath Rath

Romance

3  

Lokanath Rath

Romance

जमाना बीत गया...

जमाना बीत गया...

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वो क्या दिन था क्या पल था

घंटो बैठे देख रहा था

कुछ सोचके हँसता था

कुछ सपने देखता था 

ये क्या अब है क्या हो गया

तुमसे इश्क करके ही

देखो जमाना बीत गया......


यूँ तो हम कुछ कहते

और तुम कुछ कहते

आँखों ही आँखों मे देखते

जुबां पे तो आने ना देते

समय ही बदल गया

तुमसे इश्क करके ही

देखो जमाना बीत गया.......


कुछ ज़माने से डर था

कुछ नज़रों से डर था

कुछ कहना तो मुझे था

कुछ सुनने को फिर था

वो वक़्त तो गुजर गया

तुमसे इश्क करके ही

देखो जमाना बीत गया.....


वक़्त की पया चलनी थी

तुमको आगे बढ़ने थी

आशाये यादों मे बसी थी

तुम तो वैसी रहेती थी

उम्र ढलता चला गया

तुमसे इश्क करके ही

देखो जमाना बीत गया......


अब जब मे देखता हूं

वक़्त को याद करता हूं

आईने से भी डरता हूं

सफ़ेद होते बालो को ही

देख के पता चल गया

तुमसे इश्क करके ही

देखो जमाना बीत गया.......


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