STORYMIRROR

Aishani Aishani

Romance

3  

Aishani Aishani

Romance

फ़र्क नहीं पड़ता

फ़र्क नहीं पड़ता

1 min
241

फ़र्क नहीं पड़ता है अगर

तुम गए ना होते यूँ मझधार छोड़कर


और सबकी ज़ुबाँ खुलती तुम कुछ 

हिम्मत देते बवा से जूझने को


तब मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता ! 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance