जमाना गुजर गया....
जमाना गुजर गया....
1 min
8
वो बिन पंखों की परी दिखती थी,
वो श्वेत परिधान मे हँसिनी लगती थी,
वो सतरंगी पर वाली मोरनी लगती थी,
वो उषा की सुनहरी किरण लगती थी,
वो सीप मे सजी मोती सी थी,
वो संध्या की रतनार चुनर सी थी,
वो अबोली के फूल समान
कभी ना बोली,
वो मेरे इश्क की कली,
कभी ना खिली,
चाहता था उसको संजोना जीवन भर,
चाहता था उसको निहारना जी भर,
वो दिल के आसमान मे,
इन्द्रधनुष बन गई ,
मैं बस जमीं बन कर रह गया,
और जमाना गुजर गया.....