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Laxmi Yadav

Romance Tragedy

4  

Laxmi Yadav

Romance Tragedy

कनेर की गलियाँ......

कनेर की गलियाँ......

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थोड़ा थोड़ा प्यार का सरूर था, 

मुहब्बत का गहरा असर जरूर था, 


साथ चले थे कसमे खाकर, 

निकल पड़े थे रस्में भुलाकर, 


गवाह थी कनेर की गलियाँ, 

रोज देखती थी वो कलियाँ, 


वक़्त की आँधी ऐसी चली, 

दोनों की मर्जी कुछ ना चली , 


वो रुखसत दुनिया से हो गयी, 

वो अपने साथ उसकी दुनिया ले गयी, 


तन्हा वो इतना रह ना सका, 

गम जुदाई का सह ना सका, 


अर्थी भी दोनों की सजने लगी, 

दुनिया इनके प्यार की दुहाई देने लगी, 


आखिर मे वो कनेर की गली आई, 

इश्क की आखें भी छलक आई, 


जिन कनेर गलियों से गुजरें थे कभी, 

कफन पर कनेर की कलियाँ बरस रही थी, 


सवाल कर रही थी ,


आखिर कैसी दुल्हन सजी थी ये, 

आखिर कैसी ये निकली दोनों की बारात थी ये.... 



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